22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को और सख्त कर दिया है। शनिवार को अंगोला के राष्ट्रपति जोआओ मैनुअल गोंकाल्वेस लौरेंको के साथ आयोजित संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा कि भारत न केवल आतंकियों के खिलाफ, बल्कि उन्हें संरक्षण देने वालों के खिलाफ भी निर्णायक कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में स्पष्ट शब्दों में कहा, “हम हर आतंकवादी और उसके समर्थकों की पहचान करेंगे, उनका पता लगाएंगे और उन्हें दंडित करेंगे। हम उन्हें धरती के अंत तक खदेड़ेंगे।” यह बयान एक बार फिर भारत की आतंकवाद के खिलाफ ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ नीति को रेखांकित करता है।
उन्होंने राष्ट्रपति लौरेंको और अंगोला की जनता का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि भारत आतंक के खिलाफ लड़ाई में एकजुट है और जो भी इस लड़ाई में साथ देगा, उसका वह स्वागत करता है। “हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अंगोला के समर्थन के लिए उसे धन्यवाद देते हैं,” उन्होंने कहा।
हमले के अगले ही दिन, यानी 23 अप्रैल को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय सुरक्षा समिति (CCS) की बैठक बुलाई गई। भारत सरकार ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े और निर्णायक कदम उठाए हैं। सबसे पहले, सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया गया है, जो भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 से चला आ रहा एक महत्वपूर्ण जल समझौता था।
इसके साथ ही, अटारी-वाघा सीमा को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है जिससे दोनों देशों के बीच सीधी आवाजाही पर रोक लग गई है। पाकिस्तान के नागरिकों को भारत द्वारा जारी किए गए सभी वीजा तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिए गए हैं।
डिजिटल मोर्चे पर भी कार्रवाई तेज की गई है—भारत सरकार ने पाकिस्तानी यूट्यूब चैनलों और एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडलों के खिलाफ आईटी मंत्रालय के जरिए सख्त कदम उठाए हैं। राजनयिक संबंधों को भी सीमित करते हुए भारत में पाकिस्तानी उच्चायोग के कर्मचारियों की संख्या में कटौती का निर्णय लिया गया है और कई पाकिस्तानी राजनयिकों को इस्लामाबाद वापस भेजने के आदेश दिए गए हैं। इन सब कदमों का मकसद पाकिस्तान पर स्पष्ट और सख्त संदेश देना है कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ किसी भी स्तर पर समझौता नहीं करेगा।
पहलगाम हमले की ज़िम्मेदारी ‘लश्कर-ए-तैयबा’ से जुड़े संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली थी। हमले को अंजाम देने वाले चार heavily armed आतंकवादी थे, जिनमें से दो की पहचान पाकिस्तानी नागरिकों के रूप में हो चुकी है। चश्मदीदों के अनुसार, आतंकियों ने टूरिस्ट्स को निशाना बनाकर बर्बरता की सारी हदें पार कर दीं।
प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान केवल घरेलू दर्शकों के लिए नहीं था, बल्कि वैश्विक मंच के लिए भी एक कड़ा संदेश था कि भारत अब सिर्फ सहने वाला नहीं है, बल्कि जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार और सक्षम है। भारत अब आतंकी हमलों को ‘निंदनीय’ कहकर टालने के युग से बाहर आ चुका है।
यह भी पढ़ें:
पाकिस्तान की आर्थिक रीढ़ पर चोट, IMF और FATF के ज़रिए वैश्विक नकेल!
मंदिरों में गैर-हिंदू कर्मचारियों की होगी समीक्षा, सांस्कृतिक संतुलन की कवायद शुरू
पाकिस्तान ने दागी ‘अब्दाली’ मिसाइल, भारत ने कहा – हम तैयार हैं!